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जानिए, क्यों RSS ने 52 साल तक राष्ट्रीय ध्वज नही फहराया!

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जानते हैं कि RSS ने 52 साल तक भारत का राष्ट्रीय 🇮🇳 ध्वज तिरंगा नही फहराया ? जी हां ये सच है और ये सिर्फ मैं नही कह रहा बल्कि जनवरी 2017 में राहुल गांधी ने भी कही थी, ये एकदम सच है कि 1950 से ले कर 2002 तक RSS ने तिरंगा नही फहराया । तो क्या है इस तिरंगे के ना फहराने का सच आइये जानते हैं : तो ऐसा किया हुआ कि 1950 के बाद RSS ने तिरंगा फहराना बंद कर दिया?                   आज़ादी के बाद संघ की शक्ति लगातार बढ़ती जा रही थी और संघ ने राष्ट्रीय पर्व जैसे 15 अगस्त और 26 जनवरी जोर शोर से मनाने शुरू कर दिए थे, जनता ने भी इसमे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना शुरू कर दिया, इस से नेहरू को अपना सिंघासन डोलता नज़र आया और बड़ी ही चालाकी से उन्होंने भारत के संविधान में एक अध्याय जुड़वा दिया "National Flag Code" , नेशनल फ्लैग कोड को संविधान की अन्य धाराओं के साथ 1950 में लागू कर दिया गया,                 और इसी के साथ तिरंगा फहराना अपराध की श्रेणी में आ गया, इस कानून के लागू होने के बाद तिरंगा सिर्फ सरकारी इमारतों पर कुछ...

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शाब्दिक अर्थ

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"राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ" यह तीन शब्दों का एक समुच्चय है । (अ) राष्ट्रीय        (ब) स्वयंसेवक         (स) संघ (अ) राष्ट्रीय :-   जिसकी अपने देश, उसकी संस्कृति, उसकी परम्पराओं, उसके महापुरुषों, उसकी सुरक्षा एवं समृद्धि के प्रति निष्ठा हो, जो देश के साथ पूर्ण रूप से भावनात्मक मूल्यों से जुड़ा हो अर्थात जिसको सुख-दुःख, हार-जीत व शत्रु-मित्र की समान अनुभूति हो वह राष्ट्रीय कहलाता है। अपने देश में राष्ट्रीयता हेतु सभी आवश्यक तत्वों की पूर्ति हिन्दु समाज के जीवन में हो जाती है। अतः हिन्दु समाज का जीवन ही राष्ट्रीय जीवन है अर्थात "हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व है"  व्यवहारिक रूप से राष्ट्रीय, भारतीय व हिन्दु पर्यायवाची शब्द हैं। इसलिये संघ ने "राष्ट्रीय" शब्द को संघठन के नाम में प्रथम स्थान प्रदान किया । (ब) स्वयंसेवक :-   जो स्वयं की प्रेरणा से बिना किसी प्रतिफल व पुरस्कार की इच्छा के, अनुशासन पूर्वक, निर्धारित पद्धति से नित्य, राष्ट्र, समाज, देश, धर्म, संस्कृति की सेवा करने, रक्षा करने और उसकी अभिबृद्धि के लिए प्रमाणिकता व निःस्...

संघ की आवश्यकता क्यों ?

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प.पू. डॉ. हेडगेवार जी अपने समकालीन प्रायः सभी सामाजिक, धार्मिक व राजनैतिक संघठनों के कार्यों से जुड़े रहे, इससे उन्हें कुछ अनुभव हुए जिसके कारण हमें स्वतंत्रता प्राप्ति में सहायक सिद्ध हुए। • अपने समाज की दुर्बलताएँ, अपनी कमजोरियों स्वार्थपरता, आत्महीनता, स्वाभाविक देशभक्ति एवं संग़ठन का अभाव। • राष्ट्रीय की भ्रामक कल्पना। • हिन्दू समाज को आत्मगौरव के अभाव में हिन्दू कहने में लज्जा का अनुभव। • देशभक्ति की स्वाभाविक भावात्मक कल्पना का अभाव। • संग़ठन के अभाव में सभी आन्दोलनों का बीच में ही रुक जाना । • कुछ क्रांतिकारियों तथा सत्याग्रहियों के प्रयास से स्वतंत्रता नहीं मिलेगी,जब तक पूरा देश स्वाभाविक देशभक्ति एवं  के साथ खड़ा नहीं होगा। • कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति आत्मघातक। • राजनीति सब समस्याओं का समाधान नहीं। • ऐसे अनेक अनुभवों में से डॉ. जी ने निष्कर्ष निकाला की देश का भाग्य हिन्दू के साथ जुड़ा है, वही इस देश का राष्ट्रीय समाज है। स्वतंत्रता तथा राष्ट्र निर्माण हेतु देशभक्त, चरित्रवान अनुशासित तथा निजी अहंकार से मुक्त लोगों का संग़ठन आवश्यक है। ऐसा संग़ठन देश...