संदेश

2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्रांतिकारी राजा भभूत सिंह

चित्र
जनजातीय गौरव सप्ताह 8 से 15 नवम्बर  सतपुड़ा के कोरकू गौरव - क्रांतिकारी राजा भभूत सिंह  (आलेख - चाणक्य बख्शी, पचमढ़ी) सुप्रसिद्ध देवगढ़ राज्य के गोण्ड राजवंश द्वारा राजकीय सनद से भोपा गोत्र के महादेव भक्त कोरकुओं को पचमढ़ी जागीर का अधिकार दिया गया था जो वर्तमान मध्यप्रदेश के होशंगाबाद तथा छिन्दवाड़ा जिलों के बड़े हिस्सों में फैली हुई थी।  पचमढ़ी बड़ा महादेव के पारंपरिक सेवक व  संरक्षक परिवार में देनवा नदी के तट पर संयुक्त पचमढ़ी जागीर के स्वामी कोरकू ठाकुर अजीत सिंह जी के वंश में हर्राकोट राईखेड़ी शाखा के जागीरदार परिवार में राजा भभूत सिंह ने जन्म लिया था। पचमढ़ी की महादेव चौरागढ़ पहाड़ियों में राजा भभूत सिंह जी के पितामह ठाकुर मोहन सिंह ने 1819-20 में अंग्रेजों के विरूद्ध नागपुर के विप्लवी राजा अप्पा साहेब भोंसले का तन मन धन से सहयोग किया था ।  अपने दादाजी के पदचिन्हों पर चलते हुए युवा राजा भभूत सिंह ने 1857 की  क्रांति के नेता तात्याटोपे के आव्हान पर 1858 में भारत के प्रथम सशस्त्र स्वातंत्र्य समर में कूदने का निर्णय लिया।  अक्टूबर 1858 के अंतिम सप्ताह में नर्मदा ...

जानिए प्रतिदिन शाखा क्यों आवश्यक है?

चित्र
संघ परिचय   "शाखा" सभी कार्यों का अधिष्ठान है क्योंकि प्रत्येक कार्य के लिए आवश्यक योग्य, समर्पित, ध्येयनिष्ठ कार्यकर्ताओं का निर्माण इस पद्धति से ही संभव। यह विगत 90 वर्षों से संघ कार्य से सिद्ध हुआ है। ● दैनिक मिलन की अभिनव कार्य पद्धति का विकास संघ ने किया।   ● संग़ठन का स्वरुप प्रतिदिन निश्चित समय व निश्चित स्थान पर एकत्रित होना।   ●   व्यक्ति के विकास व उसके स्वाभाविक दोषों को दूर करने के लिए निरंतर संस्कार, अभ्यास, ध्येय के अनुरूप सत्संग।   ● एक घंटे संस्कार की योजना। जैसे-नित्य पूजा करना आदि।   ● यह संस्कार नित्य तथा निरंतर मिलने चाहिए, अतः इसके लिए शाखा में दैनिक उपस्थिति अपेक्षित। ● शाखा के दैनिक कार्यक्रमों से उत्साह,पराक्रम निर्भयता, अनुशासन, सूत्रबद्धता, विजयवृति।