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अखंड भारत

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14 अगस्त 1947 वो दिन है जब अखंड भारत का आखरी दिन था भारत को दो देशो में बाट दिया गया जो की आज तीन हिस्सों में है स्वतंत्रता का जश्न मनाने के साथ ही भारत विभाजन का दर्द भी ह्रदय में होना चाहिए 14 अगस्त को भारत की अखंडता ख़त्म हुई जो की पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस है.. हमारी नई पीढ़ी को भारत के स्वरुप और विशेषताओ के बारे में जानकारी नही है हमें इसके प्रति उन्हें जागरूक करना चाहिए ताकि भारत के स्वरूप, विशेषताओ, गौरवशैली परम्पराओ और संस्कृति के बारे में जान कार गर्व महसूस कर सके ।           हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी एक कविता में उन्होंने अखंड भारत का स्वप्न संजोया है "दिन दूर नही खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएंगे, गिलगिट से गारो पर्वत तक तिरंगा झंडा फहराएंगे।" दोस्तों भारत का राजनैतिक नही पर सांस्कृतिक स्वरुप व्यापक है भारत का अखंड होना नियति है।           खंडित भारत में एक सशक्त तेजोमय राष्ट्र् जीवन खड़ा करके ही अखंड भारत के लक्ष्य की ऒर बढना संभव होगा भारत की सांस्कृतिक चेतना और विविधता में एकता का प्रत्यक्ष ...

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने में दोनों का अलग महत्व और अंतर है।

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आइए जानते हैं उन अंतरों को : संविधान के मुताबिक, भारत देश में कोई भी व्यक्ति कभी भी, कहीं भी राष्ट्रीय ध्वज बिना किसी दबाव के राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है। वैसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस ऐसे दो उत्सव हैं, जब पूरा देश एक साथ एक ध्वज के नीचे नजर आता है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस दोनों ही दिन तिरंगा फहराया जाता है, लेकिन तिरंगा फहराने में थोड़ा अंतर होता है। 👉 क्या है पहला अंतर : 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन राष्ट्रीय ध्वज को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे " ध्वजारोहण " (Flag Hoisting) कहा जाता है। यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने के लिए किया जाता है।          जबकि 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, जिसे " झंडा फहराना " (Flag Unfurling) कहा जाता है। 👉 क्या है दूसरा अंतर : स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के दिन मुख्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री शामिल होते हैं। वह केंद्र सरकार के प्रमुख होने के नाते ध्वजारोहण कर...