स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने में दोनों का अलग महत्व और अंतर है।

आइए जानते हैं उन अंतरों को :

संविधान के मुताबिक, भारत देश में कोई भी व्यक्ति कभी भी, कहीं भी राष्ट्रीय ध्वज बिना किसी दबाव के राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है। वैसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस ऐसे दो उत्सव हैं, जब पूरा देश एक साथ एक ध्वज के नीचे नजर आता है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस दोनों ही दिन तिरंगा फहराया जाता है, लेकिन तिरंगा फहराने में थोड़ा अंतर होता है।

👉 क्या है पहला अंतर :

15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन राष्ट्रीय ध्वज को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे " ध्वजारोहण " (Flag Hoisting) कहा जाता है। यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने के लिए किया जाता है।
         जबकि 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, जिसे " झंडा फहराना " (Flag Unfurling) कहा जाता है।

👉 क्या है दूसरा अंतर :

स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के दिन मुख्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री शामिल होते हैं। वह केंद्र सरकार के प्रमुख होने के नाते ध्वजारोहण करते हैं।
         जबकि गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के दिन राष्ट्रपति मुख्य कार्यक्रम में शामिल होते हैं। 26 जनवरी जो कि देश में संविधान लागू होने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, इस दिन संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं।

👉 क्या है तीसरा अंतर :

तीसरा एवं प्रमुख कारण है स्थान का। स्वतंत्रता दिवस के दिन प्रधानमंत्री लाल किले से ध्वजारोहण करते हैं। वहीं पर मुख्य कार्यक्रम होता है। प्रधानमंत्री लाल किले से ही देश को संबोधित करते हैं।
         जबकि गणतंत्र दिवस के दिन मुख्य कार्यक्रम राजपथ पर होता है। इस दिन राष्ट्रपति राजपथ पर झंडा फहराते हैं। गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर विभिन्न प्रदेश की झाकियां निकाली जाती है, जो आकर्षण का प्रमुख केंद्र होती है।

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