10 बातें जो हर हिंदु को ज्ञात होनी चाहिए।

1.  क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लैंड के ‘house of lord‘ के सदस्य रहे थे ? नहीं ना ?
फिर ये क्या Lord Rama, Lord Krishna लगा रखा है ? सीधे सीधे भगवान राम, भगवान कृष्ण कहिये ।

2. किसी की मृत्यु होने पर "RIP" मत कहिये।
RIP यानी rest in peace जो दफ़नाने वालों के लिए कहा जाता है।
आप कहिये - "ओम शांति", "सद्गति मिले", अथवा "मोक्ष प्राप्ति हो" ! आत्मा कभी एक स्थान पर आराम या विश्राम नहीं करती ! आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिलता है !

3. अपने रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों को Mythological मत कहियेगा !
ये हमारा गौरवशाली इतिहास है और राम एवं कृष्ण हमारे ऐतिहासिक देवपुरुष हैं, कोई Mythological कलाकार नहीं !

4. अपने इष्ट देवों का नाम आदर सहित लें,
उनका मज़ाक न बनने दें !

5. हमारें मंदिरों को प्रार्थनागृह न कहें !
मंदिर देवालय होते हैं, भगवान के निवासगृह ! वह प्रार्थनागृह नहीं होते ! मंदिर में केवल प्रार्थना नहीं होती !
अन्य पूजा पद्धति में साप्ताहिक प्रार्थना होती है जबकि हिंदू धर्म में ये नित्य कर्म है।

6. अपने बच्चों के जन्मदिन पर दीप बुझा के अपशकुन न करें ! अग्निदेव को न बुझाए !
अपितु बच्चों को दीप की प्रार्थना सिखाएं "तमसो मा ज्योतिर्गमय" ( हे अग्नि देवता, मुझे अंधेरे से उजाले की ओर जाने का रास्ता बताएं" ! ये सारे प्रतीक बच्चों के मस्तिष्क में गहरा असर करते हैं !

7. कृपया "Spirituality" और "Materialistic" जैसे शब्दों का उपयोग करने से बचें !
हिंदूओं के लिये सारा विश्व दिव्यत्व से भरा है !  "Spirituality" और "Materialistic" जैसे शब्द अनेक वर्ष पहले युरोप से यहां आये जिन्होंने चर्च और सत्ता मे फरक किया था - या विज्ञान और धर्म में !
इसके विपरित भारतवर्ष में ऋषि मुनि हमारे पहले वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म का मूल विज्ञान में ही है ! यंत्र, तंत्र, एवं मंत्र यह हमारे धर्म का ही हिस्सा है !

8.  "Sin" इस शब्द के स्थान पर "पाप" शब्द का प्रयोग करें !
हम हिंदूओं मे केवल धर्म ( कर्तव्य, न्यायपरायणता, एवं प्राप्त अधिकार ) और अधर्म (जब धर्म पालन न हो) है ! पाप अधर्म का हिस्सा है !

9. ध्यान के लिये 'Meditation' एवं प्राणायाम के लिये 'Breathing exercise' इन संज्ञाओं का प्रयोग न करें !
यह बिलकुल विपरीत अर्थ ध्वनित करते हैं !

10. क्या आप भगवान से डरते है ?
नहीं ना ? क्यों ? क्योंकि भगवान तो चराचर मे विद्यमान हैं, अजन्मा, निराकार, परोपकारी, न्यायकारी और सर्वशक्तिमान है ! इतना ही नहीं हम स्वयं भगवान का ही रूप हैं ! भगवान कोई हमसे पृथक नहीं जो हम उनसे डरें !!
तो फिर अपने आप को "God fearing" अर्थात भगवान से डरने वाला मत कहिये !

ध्यान रहे, विश्व मे केवल उनका सम्मान होता है जो स्वयं का सम्मान करते है !

©opied

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जानिए, क्यों RSS ने 52 साल तक राष्ट्रीय ध्वज नही फहराया!

संघ में गणवेश आवश्यक क्यों ?

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने में दोनों का अलग महत्व और अंतर है।