संदेश

2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

संघ शिक्षा वर्ग व शिविर

चित्र
संघ शिक्षा 💁‍♂आरएसएस के ये वर्ग बौद्धिक और शारीरिक रूप से स्वयंसेवकों को संघ📄 की जानकारी तो देते ही हैं साथ-साथ समाज, राष्ट्र🚩 और धर्म 🏛की शिक्षा भी देते हैं। ये निम्न प्रकार के होते हैं : 💁‍♂🤺 दीपावली वर्ग -  ये वर्ग तीन दिनों का होता है। ये वर्ग तालुका या नगर स्तर पर आयोजित किया जाता है। ये हर साल दीपावली के आस पास आयोजित होता है। 💁‍♂🤺 शीत शिविर या (हेमंत शिविर) -   ये वर्ग तीन दिनों का होता है, जो जिला या विभाग स्तर पर आयोजित किया जाता है। ये हर साल दिसंबर में आयोजित होता है। 💁‍♂⛳ निवासी वर्ग - ये वर्ग शाम से सुबह तक होता है। ये वर्ग हर महीने होता है। ये वर्ग शाखा, नगर या तालुका द्वारा आयोजित होता है। 💁‍♂🤾‍♀ संघ शिक्षा वर्ग - प्राथमिक वर्ग🧘‍♂, प्रथम वर्ष🥊, द्वितीय वर्ष🤸‍♀ और तृतीय वर्ष 🤺- कुल चार प्रकार के संघ शिक्षा वर्ग होते हैं। 💁‍♂🚩"प्राथमिक वर्ग" एक सप्ताह का होता है, 💁‍♂🚩 "प्रथम वर्ष" और "द्वितीय वर्ष" २०-२० दिन के होते हैं  💁‍♂जबकि " तृतीय वर्ष " 25 दिनों का होता है। 💁‍♂...

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझे....

चित्र
देश में कहीं भी जब हिन्दू पिटता है तब कुछ प्रश्न खड़े किये जाते हैं जैसे... आरएसएस कहाँ गया..? ऐसे ही प्रश्न पुलिस के बारे में भी उठते हैं। संघ कोई चौकीदार या रखवाली करने वाली संस्था नहीं है! संघ एक क्रियात्मक विचार पुंज है। उसे संचालित, सक्रिय करके व्यवहार धरातल पर लाना हमारा ही दायित्व है। संघ कहता है, प्रतिदिन एक घण्टा घर से बाहर निकल कर निकटतम स्थान पर सामूहिक आइये.. सप्ताह में एक बार, बड़े पैमाने पर किसी बड़ी जगह पर सामुहिक एकत्रीकरण हेतु आइये... माह में एक बार #हिंदुत्व पर होने वाले सामूहिक स्नेह मिलन, भोज जैसी गतिविधियों में भाग लीजिए... वर्ष में कम से कम दस दिन,घर से दूर स्थान बदलकर जनजागरण हेतु विस्तारक के रूप में काम कीजिए.. अपने बच्चे, बच्चियों को अभ्यास वर्गों और प्रशिक्षणों में भेजिये... (और आपको ये वहीं जाकर पता चलेगा कि आप क्या क्या सीखने वाले हैं।) स्वयं कोई एक गतिविधि से जुड़कर यथासंभव सहयोग कीजिए...! घर पर शस्त्र पूजन कीजिए, समाज में सामूहिक शस्त्रपूजन के आयोजन में भाग लीजिए। अपने आस पास की कच्ची बस्ती या पिछड़ी बस्ती में संपर्क रखिए, उनके सुख दुःख मे...

अखंड भारत

चित्र
14 अगस्त 1947 वो दिन है जब अखंड भारत का आखरी दिन था भारत को दो देशो में बाट दिया गया जो की आज तीन हिस्सों में है स्वतंत्रता का जश्न मनाने के साथ ही भारत विभाजन का दर्द भी ह्रदय में होना चाहिए 14 अगस्त को भारत की अखंडता ख़त्म हुई जो की पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस है.. हमारी नई पीढ़ी को भारत के स्वरुप और विशेषताओ के बारे में जानकारी नही है हमें इसके प्रति उन्हें जागरूक करना चाहिए ताकि भारत के स्वरूप, विशेषताओ, गौरवशैली परम्पराओ और संस्कृति के बारे में जान कार गर्व महसूस कर सके ।           हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी एक कविता में उन्होंने अखंड भारत का स्वप्न संजोया है "दिन दूर नही खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएंगे, गिलगिट से गारो पर्वत तक तिरंगा झंडा फहराएंगे।" दोस्तों भारत का राजनैतिक नही पर सांस्कृतिक स्वरुप व्यापक है भारत का अखंड होना नियति है।           खंडित भारत में एक सशक्त तेजोमय राष्ट्र् जीवन खड़ा करके ही अखंड भारत के लक्ष्य की ऒर बढना संभव होगा भारत की सांस्कृतिक चेतना और विविधता में एकता का प्रत्यक्ष ...

स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने में दोनों का अलग महत्व और अंतर है।

चित्र
आइए जानते हैं उन अंतरों को : संविधान के मुताबिक, भारत देश में कोई भी व्यक्ति कभी भी, कहीं भी राष्ट्रीय ध्वज बिना किसी दबाव के राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है। वैसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस ऐसे दो उत्सव हैं, जब पूरा देश एक साथ एक ध्वज के नीचे नजर आता है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस दोनों ही दिन तिरंगा फहराया जाता है, लेकिन तिरंगा फहराने में थोड़ा अंतर होता है। 👉 क्या है पहला अंतर : 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन राष्ट्रीय ध्वज को नीचे से रस्सी द्वारा खींच कर ऊपर ले जाया जाता है, फिर खोल कर फहराया जाता है, जिसे " ध्वजारोहण " (Flag Hoisting) कहा जाता है। यह 15 अगस्त 1947 की ऐतिहासिक घटना को सम्मान देने के लिए किया जाता है।          जबकि 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस के अवसर पर झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे खोल कर फहराया जाता है, जिसे " झंडा फहराना " (Flag Unfurling) कहा जाता है। 👉 क्या है दूसरा अंतर : स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के दिन मुख्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री शामिल होते हैं। वह केंद्र सरकार के प्रमुख होने के नाते ध्वजारोहण कर...